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Friday, 30 January 2015

'एक भारतीय आत्मा'---ध्रुव गुप्त

मुझे तोड़ लेना वनमाली, देना तुम उस पथ पर फेंक !
'एक भारतीय आत्मा' के नाम से जाने जाने वाले राष्ट्रीय चेतना के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि स्व. माखनलाल चतुर्वेदी की कविताएं और लेख भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के दौर में आजादी के मतवालों की प्रेरणा हुआ करते थे। वे स्वतंत्रता-पूर्व के भारत की एक समूची पीढ़ी को अनुप्राणित करने वाले कवि, लेखक और पत्रकार थे। असहयोग आन्दोलन और भारत छोड़ो आन्दोलन के सक्रिय सेनानी चतुर्वेदी जी ने आज़ादी के बाद सरकार का दिया कोई पद स्वीकार नहीं किया और आजीवन सामाजिक असमानता, शोषण और बुराईयों के खिलाफ लिखते रहे। महाकवि माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि (30 जनवरी) पर हमारी हार्दिक श्रधांजलि, उनकी एक कविता के साथ !
भाई, छेड़ो नहीं मुझे
खुलकर रोने दो
यह पत्थर का हृदय
आंसुओं से धोने दो
रहो प्रेम से तुम्हीं
मौज से मंजु महल में
मुझे दुखों की इसी
झोपड़ी में सोने दो।
कुछ भी मेरा हृदय
न तुमसे कह पावेगा
किन्तु फटेगा, फटे
बिना क्या रह पावेगा
सिसक-सिसक सानंद
आज होगी श्री-पूजा
बहे कुटिल यह सौख्य
दु:ख क्यों बह पावेगा ?
हरि खोया है? नहीं
हृदय का धन खोया है
और, न जाने वहीं
दुरात्मा मन खोया है
किन्तु आज तक नहीं
हाय, इस तन को खोया
अरे बचा क्या शेष
पूर्ण जीवन खोया है !
पूजा के ये पुष्प
गिरे जाते हैं नीचे
वह आंसू का स्रोत
आज किसके पद सींचे
दिखलाती, क्षणमात्र
न आती, प्यारी किस भांति
उसे भूतल पर खीचें।
एमएनबीवीसीएक्सज़ेड
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 गांधी जी व माखन लाल चतुर्वेदी जी को श्रद्धांजली व नमन।
---पूनम माथुर 

Saturday, 17 January 2015

जीत -हार,जलन,सोया-खाया

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Thursday, 15 January 2015

एक बार मुस्कुराओ न पापा




(युवा कवि यश मिश्रा की यह बेहद मासूम-सी, भोली-सी कविता मित्र इमराना खान जी के माध्यम से पढ़ने को मिली। स्त्री-जीवन की त्रासदी पर लिखी गई इस कविता की सादगी और निश्छलता ने मन को ऐसे छुआ कि इसे आपसे साझा करने का लोभ संवरण नहीं कर पाया। कृपया इसे पढ़ें !)---Dhruv Gupt


देखो शाम हो आई
अभी घूमने चलो न पापा
चलते-चलते थक गई
तो कंधे पर बिठा लो न पापा
मुझे अंधेरे से डर लगता है
सीने से लगा लो न पापा
मम्मी तो कब की सो गई
आप थपकी देकर सुला दो न पापा
स्कूल की पढ़ाई तो पूरी हो गई
अब कालेज में भेजवा दो न पापा
पाल पोसकर बड़ा किया
अब अपने से ज़ुदा तो न करो पापा
छोडो अब डोली में बिठा ही दिया
तो आंसू तो मत बहाओ पापा
आपकी मुस्कान बड़ी अच्छी है
एक बार मुस्कुराओ न पापा
आपने मेरी हर बात मानी
एक बात और मान जाओ न पापा
इस धरती पर बोझ नहीं मैं
दुनिया को समझाओ न पापा !