©इस ब्लॉग की किसी भी पोस्ट को अथवा उसके अंश को किसी भी रूप मे कहीं भी प्रकाशित करने से पहले अनुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें। ©
Monday, 16 February 2015
Sunday, 15 February 2015
Saturday, 14 February 2015
Saturday, 7 February 2015
चूकि मर नहीं सकता ...जहर पीना इसकी खुराक हैं ---जावेद उस्मानी
साभार:
March 1, 2014 · Edited ·
चूकि मर नहीं सकता अत:
जिंदा रहना मेरी मजबूरी हैं
हर सांस इक नया प्रश्न है
कितना कड़ा जीवन प्रबंध हैं
जीने की शर्त बड़ी दुश्वार हैं
जहर पीना इसकी खुराक हैं
हाथ पैर सलामत हैं मेरे
फिर भी नहीं श्रवण कुमार हूँ
बोझ उठाने का सामर्थ्य नहीं मुझमे
तुम्हारे कंधे पर अब भी सवार हूँ
इस पाप की क्षमा नहीं हैं ,माता
मैं भी कितना लाचार हूँ ?
लज्जित हूँ अपने आप पर
लेकिन हाथ नहीं कुछ मेरे हैं
जो हमारा भाग्य लिख रहे हैं
वे, ही ऐसी लीला रच रहे हैं
हम ही हैं अपराधी जो उन्हें चुन रहे हैं
और अपनी लगाई आग में भून रहे हैं।
जावेद उस्मानी
जिंदा रहना मेरी मजबूरी हैं
हर सांस इक नया प्रश्न है
कितना कड़ा जीवन प्रबंध हैं
जीने की शर्त बड़ी दुश्वार हैं
जहर पीना इसकी खुराक हैं
हाथ पैर सलामत हैं मेरे
फिर भी नहीं श्रवण कुमार हूँ
बोझ उठाने का सामर्थ्य नहीं मुझमे
तुम्हारे कंधे पर अब भी सवार हूँ
इस पाप की क्षमा नहीं हैं ,माता
मैं भी कितना लाचार हूँ ?
लज्जित हूँ अपने आप पर
लेकिन हाथ नहीं कुछ मेरे हैं
जो हमारा भाग्य लिख रहे हैं
वे, ही ऐसी लीला रच रहे हैं
हम ही हैं अपराधी जो उन्हें चुन रहे हैं
और अपनी लगाई आग में भून रहे हैं।
जावेद उस्मानी
Subscribe to:
Posts (Atom)