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Tuesday, 19 January 2016

शब्दों की माला















इन को पढ़ कर मन में अच्छे विचार आते हैं। 

Monday, 18 January 2016

बच्चों के लिए प्रेरक प्रसंग : ईश्वरचंद विद्यासागर


प्रस्तुत कहानी का निष्कर्ष और प्रेरक पक्ष सराहनीय है किन्तु ईश्वरचंद विद्यासागर जी का जो दृष्टांत बताया गया है वह कुछ हट कर वर्णन किया गया लगता है। बचपन में जैसा वर्णन पढ़ा है उसके अनुसार घटना इस प्रकार थी कि, एक आगंतुक विद्यासागर जी की ख्याति से प्रभावित होकर उनसे मिलने पहुंचे तो रात्रि के अंधेरे में किसी कुली को न पाकर उन्होने 'कुली'-'कुली' की आवाज़ दी जिसे सुन कर खुद विद्यासागर जी पहुँच गए और उन महाशय का सामान लेकर उनको उनके ठहरने के स्थान सराय/धर्मशाला तक पहुंचा दिया। उनके द्वारा मजदूरी देने पर हाथ जोड़ कर चुपचाप चले गए थे। अगले दिन जब वह आगंतुक विद्यासागर जी से मिलने पहुंचे और रात्रि वाली घटना को याद करके सकपका गए क्योंकि वह कुली और कोई नहीं वही ईश्वरचंद विद्यासागर जी थे। शर्मिंदा होकर उन्होने पैर छू कर माफी मांगी। उनको बोध हो गया था। 

जो दृष्टांत  है उसे वैसे ही सही-सही पेश करना चाहिए नहीं तो बच्चों पर उसका वैसा असर नहीं पड़ पाएगा। 

Sunday, 17 January 2016

क्या है कसूर- नादान बच्चों का

पेट ने ऐसी मारी लात 
खाने को नहीं मिलता है भात 
कसाई बन लोगों ने की है कैसी करामात ?
छीन ली है बचपन की यह सौगात 
बच्चों को लोगों ने कैसी दी है यह मात ?
भूख के लिए बचपन में आई यह शामत। । 



Friday, 15 January 2016

सेना दिवस पर जैकब साहब को नमन

**जाति,धर्म, संप्रदाय सबसे अलग हट कर इन्होने    मानव हित के लिए काम किया , देशवासियों को यह दिखाया था कि, देश-भक्ति क्या होती है? परंतु आजकल के सैनिकों पर उंगली क्यों उठाई जा रही है।