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Thursday, 15 March 2018
Friday, 9 March 2018
Thursday, 8 March 2018
Tuesday, 6 March 2018
हाउसवाइफ -------- निधि गुप्ता
Nidhi Gupta
·06-03-23018
*हाउसवाइफ*🌺🌺🌺🌺
मै थक गयी मुझे भी अब नौकरी करनी है..
बस! बड़ी सख्ती के साथ ऋचा ने पति से कहा..
तो पति ने कहा..
मगर क्यों क्या कमी है घर में, आखिर तुम नौकरी क्यों करना चाहती हो?
ऋचा ने शिथिल होकर कहा..क्योंकि मै जानती हूँ कि..
अगर छुट्टी चाहिए तो दफ्तर में काम करो घर में नहीं।
बिना तनख्वाह के सबका रौब झेलो..
इतने सारे बॉस से तो अच्छा है..कि मै नौकरी करूँ..
इंडिपेंड रहूँ..
छुट्टी भी मिलेंगी,
घर में रौब भी रहेगा,
और मेरी डिग्रियाँ भी रद्दी न बनेंगी .
महत्वाकांक्षी लोग रोटी कमाते हैं बनाते नहीं..
दिन भर बाई की तरह लगे रहने वाली..
स्वयं को बनने सँवरने का समय नहीं देती..
तो उसको गयी गुजरी समझा जाता है.
बाई भी अपना रौब जमाती है..
छुट्टी करती है..
बेढंगे काम का पैसा लेती है ..
पर मै मै क्या हूँ..मुझे कभी कोई एक्सक्यूज. नहीं..
कोई तारीफ नहीं..
कोई वैल्यू नहीं..
और
अपेक्षाओं का अंत नहीं..
ऊपर से नो ऐबीलिटी..
में हूँ ही क्या
एक मामूली हाउस वाइफ..😢
पति ने कहा नहीं..
तुम अपने घर की बॉस हो।🧙♀
मगर तुम में कुछ कमी हैं..
आर्डर की जगह रिक्वैस्ट करती हो..
डाटने की जगह रूठ जाती हो..
गुस्सा.करने वालों को
बाहर का रास्ता दिखाने की वजाय मनाती हो..
नौकरी करके रोज बनसँवर कर..
बाहर की दुनियाँ में आपना वजूद बनाना अपने लिए जीना आसान है..
लेकिन अपने आप को मिटाकर अपनों को बनाए रखनाआसान नहीं होता,
आसान नहीं होता खुद को भुलाकर सबका ध्यान रखना..
*तुम हाउस वाइफ नहीं हाउस मैनेजर हो..*
अगर तुम घर को मैनेज न करो तो हम बिखर जाएँगे..
आदतें तुमने बिगाड़ी हैं.हमारी..
हम कहीं भी.कुछ भी पटकते हैं..
जूते कपड़े किताबें बर्तन.
तुम समेटती रही कभी टोका होता..
ये कहकर पति ने कहा अब से में सच में हैल्प करुँगा तुम्हारी..
चलो मैं ये बर्तन धो देता हूँ.
सिंक.में पड़े बर्तनों को छूते ही ऋचा नाराज हो गयी ..
अच्छा..अब आप ये सब.. करोगे?
हटो..मै आपको पति ही देखना चाहती हूँ बीबी का गुलाम नहीं...
पति ने कहा..अच्छा शाम को खाना मत बनाना पिज्जा मँगालेंगे..
कीमत सुनकर ऋचा फिर..
ये फालतू के खर्चे..
घर का बना शुद्ध खाओ..
पति ने कहा..
तुम चाहती क्या हो..
कभी कभी आराम हैल्प देना चाहूँ तो वो भी नहीं और शिकायत भी...
ऋचा ने कहा..कुछ नहीं गुस्सा मुझे भी आ सकता है.
थकान मुझे भी हो सकती है.
मन मेरा भी हो सकता है..
बीमार में भी हो सकती हूँ..
बस चाहिए कुछ नहीं कभी कभी..झुँझलाऊँ..
गुस्सा करूँ
तो आप भी ऐसे ही झेल लेना जैसे म़े सबको झेलती हूँ
मेरा हक सिर्फ आप पर है।
👌🏼👌🏼👌🏼🙏🙏🙏🙏🙏
साभार :
https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=1829902870643463&id=100008713033185
Friday, 2 March 2018
होली का रंग
होली का कैसा है रंग
नहीं मिलता है रंगों का संग
कहीं अन्न तो कहीं भुखमरी ने किया तंग
कैसे बताएं दुनिया का यह ढंग
दिलों में नहीं होता होली का उमंग
कोई बात ऐसी हो , भर जाये रंग का तरंग
प्रेम हर्ष उल्लास से भर जाये दिलों का सुरंग
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