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Tuesday 8 January 2013

दोस्ती ---पूनम माथुर

रविवार, 6 नवम्बर 2011

दोस्ती

श्रीमती पूनम माथुर 
जब सुदामा कृष्ण के घर आये -आये,

पाँव मे घाव भरे थोड़े शरमाये,सकुचाये,घबड़ाये।

जब कृष्ण ने सुदामा के चरण पखारे ।

नयनों से निर्झर  नीर बहे -बहे,

ये हर्षाये एक-दूजे मे दोनों समाये -समाये ।

जब सुदामा कृष्ण के घर आये ,

चरणों से अमृत छलके-छलके।

जब सुदामा कृष्ण के घर आये,

जब सुदामा के चावल कृष्ण ने खाये।

उसमे अमृत रस पाये,

प्रेम भाव से ,भाव प्रेम से तृप्त भये।

जब सुदामा कृष्ण के घर आये,

नयनों से नीर छलक आये।

दोनों सखा एक-दूजे मे समाये,

कृष्ण सुदामा,सुदामा कृष्ण मे जाये।

दोनों एकाकार हुये फिर साकार हुये,

प्रेम रस मे समाये जाये डूबते जाये।



(कमलानगर,आगरा मे राम रत्न शास्त्री जी 'हरिवंश पुराण' पर प्रवचन दे रहे थे। हम लोग ऐसे कार्यक्रमों मे शरीक नहीं होते हैं। किन्तु शास्त्री जी की वैज्ञानिक व्याख्या करने की पद्धति  और उनके विशेष व्यक्तिगत आग्रह पर सिर्फ उनके कार्यक्रम मे शामिल हो जाते थे। शास्त्री जी पूनम को अपनी बेटी समान मानते थे ,उन्हो ने विशेष रूप से कहा था तब पूनम ने यह भजन 17-12-2007 की रात्री मे तैयार किया था। उस समय 'कृष्ण-सुदामा' प्रसंग प्रवचनों मे चल रहा था उसी को ध्यान मे रख कर पूनम ने यह  गीत -रचना की थी जिसे अब यहाँ ब्लाग पर दिया जा रहा है। )

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