भारत धरती हमारी है
लोकतन्त्र हमारा प्रहरी है
मानव जीवन का संतरी है
हर दल का मेनिफेस्टो जारी है
हर पाँच साल के बाद जनता की बारी है
अप्रिय और नोट की महामारी है
जनता पागल बनी हुई हारी है
वोट न देने और हमारे अधिकार और कर्तव्य की चोरी है
यह तो अजब तरह की सीनाजोरी है
यह कैसी फैली बीमारी है
भेदभाव को मिटाना जरूरी है
यही सबसे अच्छी बारी है
कौन है जो सत्य - अहिंसा का पुजारी है
अबकी वोट की सवारी है
बटन दबाने की तैयारी है ।
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