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Thursday 18 October 2012

कुछ तो लगता है

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

कुछ तो लगता है












त्योहारों से  मुझे अब डर लगता है
बचपन बीता सब कुछ सपना लगता है
अब सब रिश्ते एक छलावा लगता है
छल-बल दुनिया का नियम अब सच्चा लगता है
कौन किसका सबको अब अपना अहंकार अच्छा लगता है
ऊपर उठाना-गिराना अब यही सच्चा धर्म लगता है
खून-खच्चर अब यही धर्म सब को अच्छा लगता है
त्योहारों का मौसम है सब को 'नमस्ते' कहना अच्छा लगता है
दुबारा न मिलने का यह संदेश अच्छा लगता है
अब तो राम-रहीम का ज़माना पुराना लगता है
बुजुर्गों का कहना यह बेगाना लगता है
अब तो मारा-मारी करना अच्छा लगता है
अब तो यही ठिकाना-तराना अच्छा लगता है
अब तो खुदगरजी का जमाना अच्छा लगता है
अब तो गोली-बारी चलाना अच्छा लगता है
नैनो से तीर चलाने का ज़माना अब तो पुराना लगता है
भ्रष्टाचार और घूस कमाना अच्छा लगता है
यह तो बदलते दुनिया का नियम अच्छा लगता है
शोर-शराबा करना अच्छा लगता है
हिटलर और मुसोलिनी कहलाना अच्छा लगता है
हिरोशिमा की तरह बम बरसाना अच्छा लगता है
अब गांधी-सुभाष बनना किसी को अच्छा नही लगता है
शहीदों की कुर्बानी अब तो गुमनामी लगता है
मै आज़ाद हू दुनिया मेरी  मुट्ठी मे कहना अच्छा लगता है
अपने को श्रेष्ठ ,दूसरे को निकृष्ट कहना अब तो अच्छा लगता है
मै हू,मै हू ,मै-वाद फैलाना अब तो अच्छा लगता है
चमन को उजाड़ना अच्छा लगता है
अब तो दुनिया का मालिक कहलाना अच्छा लगता है
चिल्लाना और धमकाना अब अच्छा लगता है
बेकसूर को अब कसूरवार बनाना अच्छा लगता है
न्यायालय मे झूठा बयान देना अच्छा लगता है
अब तो यही फसाना अच्छा लगता है
अब तो यही चिट्ठी बांचना अच्छा लगता है
औरों को सता कर 'ताज' पहनना अब अच्छा लगता है
अब तो झूठ को सच कहना अच्छा लगता है
दिलों पर ठेस पहुंचाना अच्छा लगता है
किसी ने कहा-क्या यह शर्म नहीं आती
यह सब करना क्या अच्छा लगता है?

(पूनम माथुर)


8 टिप्‍पणियां:

  1. आजकल तो यही सब है ..... समसामयिक पंक्तियाँ
  2. सुन्दर प्रस्तुति |

    शुभ-दीपावली ||
  3. कौन किसका सबको अब अपना अहंकार अच्छा लगता है
    सच है!
  4. उलट चाल चल रही दुनिया में ऐसा होना ही था. बढ़िया कविता.
  5. आईये इस दिवाली पर इन सब अच्छा लगने वाली बातों को तिलांजलि दे दी जाये ।

    दिवाली की शुभकामनायें ।
  6. बढ़िया कविता..** दीप ऐसे जले कि तम के संग मन को भी प्रकाशित करे ***शुभ दीपावली **
  7. झूठ को सच कहना और सच को झूठ...बहुत कुछ समेटे हुए आज के समय की कविता है ..
    आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
  8. आपको और आपके परिवार को हम सभी की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

1 comment:

  1. शुभप्रभात !!
    अब सब रिश्ते एक छलावा लगता है
    कौन किसका सबको अब अपना अहंकार अच्छा लगता है
    दुबारा न मिलने का यह संदेश अच्छा लगता है
    अब तो खुदगरजी का जमाना अच्छा लगता है
    मै आज़ाद हू दुनिया मेरी मुट्ठी मे कहना अच्छा लगता है
    अपने को श्रेष्ठ ,दूसरे को निकृष्ट कहना अब तो अच्छा लगता है
    चिल्लाना और धमकाना अब अच्छा लगता है
    औरों को सता कर 'ताज' पहनना अब अच्छा लगता है

    क्यूँ कि ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

    दिलों पर ठेस पहुंचाना अच्छा लगता है
    बहुत ही अच्छा लगता है !!

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