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Saturday 6 October 2012

मिल गई

बुधवार, 17 नवम्बर 2010

मिल गई




(लेखिका ---श्रीमती पूनम माथुर )

आज पडौस में काफी रौनक है ,क्या बात है?हर कोई एक दूसरे से पूछ रहा ,ऐसा लगता है कि जैसे पडौसी क़े घर में कोई लाटरी निकल आयी हो;कल तक तो सारे क़े सारे लोग उदास थे .परन्तु आज अचानक ये कैसा परिवर्तन हो गया है .
सभी हैरान हैं ,परन्तु पूछने क़े लिए तो हिम्मत  जुटानी पड़ती है. कल तक तो उनके घर में रोटी -दाल क़े लिए भी कशमकश था .जब  से उनकी सरकारी नौकरी छूटी ,उन्होंने कई जगह अपना भाग्य आजमाया ,लेकिन कहीं भी सफल नहीं हो पाए .शायद पूंजी की कमी बार -बार सामने आती थी ,परन्तु आज ये कैसा बदलाव आ गया .बड़ी मुश्किलों में बेचारों ने अपने घर को बचाए रखा था .मियां -बीबी ,दो बच्चे और बूढ़ी विधवा माँ ,महंगाई दिन पर दिन बढ़ती चली जा रही थी .बेटी का अचानक आपरेशन ,माँ की अस्थमा की बीमारी .सभी का लालन -पालन ,पढ़ाना-लिखाना ,मियां -बीबी पर क्या बीतती होगी ?बड़े कठोर परिश्रम में उन्होंने अपने घर को हर आंधी -तूफ़ान से बचाया है.कालोनी में उनका मेल -जोल समयानुसार था. उनके घर में हमेशा तन्गी रहती थी ;परन्तु उनमे गज़ब का धैर्य था . घर वाले कभी -कभी तो हताश हो जाते थे ,परन्तु निराशा उनके सामने नहीं आ पाती .उन्होंने अपनी हिम्मत और अन्दर की शक्ति से दुनिया में लड़ाई लड़ी और उसके ऊपर विजय पायी है. कभी भी हार  कर वे उदास नहीं होते थे और हमेशा अपने चित्त को शान्त रखने की बात किया करते रहे ताकि घर वालों को हिम्मत मिलती रहे .दिखावा तो नहीं करते थे ,लेकिन ईश्वर में उन्हें अटूट श्रद्धा  और  विश्वास था,इसी विश्वास क़े आधार पर वे दुनिया से टक्कर ले लेते थे .अपने लालन -पालन की प्रक्रिया में उन्होंने पुराने युग और आधुनिकता की अच्छाईयों को समेटा था और बुराईयों को भले ही किसी भी काल से सम्बंधित हों ,को नहीं अपनाया .सिगरेट  -तम्बाकू से बहुत दूर थे ,अपने बच्चों को धैर्य और लगन की शिछा दिया करते थे .दुनिया की चकाचौंध से दूर रहने को कहा करते थे .अगर इंसान में हिम्मत है तो वह बड़े से बड़ा काम चुटकियों में भी कर सकता है. बच्चों को उनकी शिक्षा  का फल प्राप्त हुआ .वे हमेशा अपने माता -पिता क़े बताये हुए रास्ते पर ही चला करते हैं ताकि उन्हें सफलता प्राप्त होती रहे.
आज उसी का परिणाम तो उन बच्चों को मिला है. सच्ची सीख और सच्चे आचरण क़े आधार पर वे बच्चे कामयाब हो गए हैं ,उन्हें भी काफी खुशी है. कुछ लोगों ने आकर पूंछा आज आपके घर में क्या बात हुयी है?कोई लाटरी निकल आयी है. आज आप खुश नजर आ रहे हैं. तो उन्होंने जवाब दिया भैया आज हमारे बेटे को नौकरी मिल गई है;वह भी I .A . S . की .वर्षों की मेरी तपस्या सफल हुयी हैउनकी आँखों से आंसू निकल पड़े .
सभी ने कहा धैर्य और मेहनत का फल आज अपने आप मिल गया.


(यह कहानी २००३ में लिखी थी जो ५ -११ जून क़े ब्रह्मपुत्र समाचार , आगरा में प्रकाशित हुयी थी ;आज जब आपा -धापी चल रही है इसका महत्त्व ज्यों का त्यों बना हुआ है .अतः यहाँ पुनः प्रकाशित किया जा रहा है .इससे पूर्व उनकी एक और कहानी - "मानवता की सेवा " इसी ब्लॉग में प्रकाशित हो चुकी है ,वह भी मानवीय संवेदनाओं पर आधारित है. )     
 
 

4 टिप्‍पणियां:

  1. मानवीय संवेदनाओं पर आधारित सही शिक्षा देती कहानी|
  2. सुन्दर शिक्षापरक कहानी बहुत पसन्द आयी।
  3. कहानी काफी समय पहले लिखी गयी गयी है पर सदैव प्रासंगिक रहेगी...... जीवन मूल्यों को समझाती एक सुंदर रचना .....
  4. जोशी जी ,वंदना जी,मोनिका जी ,
    आप सब लोगों को मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद .
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    पूनम

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