भोरे भोर आज अखबार मे ई समाचार पढ़ के इतना अच्छा लागल हा कि डरबन सम्मेलन मे हिस्सा लेवे खातिर मइला ढोवे वाली महिला राजस्थान के अलवर ज़िला के ऊषा आऊर रजनी आऊर ज़िला टोंक के डाली परवाना के नाम तय करल गईल बा। ई लोग विश्व शौचालय सम्मेलन मे हिस्सा लिहें। गैर सरकारी संगठन 'सुलभ इन्टरनेशनल' के विनदेश्वरी पाठक के अगुआई मे हो रहल बा । दिसंबर के पहिलका हफ्ता मे सम्मेलन मे ई बतावल जाई कि शौचालय के नयका तकनीकी का बा आऊर मैला ढोवे के खतम करे पर चर्चा होई। पाठक जी के अनुसार ई महिला लोगन माथा पर से मैला ढोवे के काम से मुक्त करावल गईल बा आऊर पाँच दिन के सम्मेलन मे भाग लेवे के बाद डरबन मे जइहे जहवां पर एक सदी पहले महात्मा गांधी ठहरल रहन ओहे ले जाईल जाई । सुलभ के अनुसार ई महिला लोगन के ई काम से मुक्ति मिल गईल बा आउर ई लोगन के जीवन यापन करे खातिर रोजगार के रूप मे अचार,पापड़ ,बड़ी,आऊर नूडुल्स बना के काम करके आजीविका चल रहल बा। पाठक जी के अनुसार ई तरह के वंचित महिला लोग के समाज के मुख्य धारा से जोड़ कर के उनका भीतर सम्मान से जिये के भावना जाग्रत करे के बा। ई सभ्य समाज समाज मे आज भी मैला ढोवे जईसन शर्मनाक कुप्रथा के खतम करना बहुत ज़रूरी बा। काहे कि आपन गंदगी दूसरा से उठवाना कहाँ तक वाजिब बा। ज़रा सोंची । का रऊरा दूसर के गंदगी उठाई ब ?
मानव के विवेक शील प्राणी काहल जा ला। का ए ही विवेकशीलता के परिचय बा?हम सब लोगन से पूछत बानी । इ आपन समाज के का हो गईल बा?
मानव के विवेक शील प्राणी काहल जा ला। का ए ही विवेकशीलता के परिचय बा?हम सब लोगन से पूछत बानी । इ आपन समाज के का हो गईल बा?
हिंदुस्तान ,लखनऊ,03-12-2012 |
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