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Tuesday 17 June 2014

राजनीति

हर बार तुमने दबाव की राजनीति चली
तुम्हारे घर और देहरी की क्या यही सखी-सहेली?1 ?

हर बार तुमने दबाव बनाई
क्या उम्मीद हमने तुमसे लगाई
घर क्या होता है ?हम कभी न जान पाये
हर वक्त तुमने हमारे ऊपर इल्ज़ाम लगाए ।

मर जाने को हम तैयार बैठे हैं
पर कौन हमको यहाँ से उठा ले जाते हैं?














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