हर बार तुमने दबाव की राजनीति चली
तुम्हारे घर और देहरी की क्या यही सखी-सहेली?1 ?
हर बार तुमने दबाव बनाई
क्या उम्मीद हमने तुमसे लगाई
घर क्या होता है ?हम कभी न जान पाये
हर वक्त तुमने हमारे ऊपर इल्ज़ाम लगाए ।
मर जाने को हम तैयार बैठे हैं
पर कौन हमको यहाँ से उठा ले जाते हैं?
तुम्हारे घर और देहरी की क्या यही सखी-सहेली?1 ?
हर बार तुमने दबाव बनाई
क्या उम्मीद हमने तुमसे लगाई
घर क्या होता है ?हम कभी न जान पाये
हर वक्त तुमने हमारे ऊपर इल्ज़ाम लगाए ।
मर जाने को हम तैयार बैठे हैं
पर कौन हमको यहाँ से उठा ले जाते हैं?
No comments:
Post a Comment