किसी की अच्छाइयाँ हर बार बुराइयाँ बनी
तुम्हारे मन मंदिर की यही चाल सौ गुनी ठनीं ।
दूसरे की हर बात तुमने गलत ढंग से बुनीं
क्या तुम्हारे अंतरात्मा ने यही राह चुनी।
तुम्हारे मन मंदिर की यही चाल सौ गुनी ठनीं ।
दूसरे की हर बात तुमने गलत ढंग से बुनीं
क्या तुम्हारे अंतरात्मा ने यही राह चुनी।
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