ताने हैं इनके शब्द बंदूक
वार करते हैं ये अचूक
पेट इनका है पैसों का भंडार
करते हैं ये जनता पर अत्याचार
और गाते हैं ये दिखावे का मल्हार । ।
वोट मांगते हैं बन भिखारी
और जीतने पर रौंदती इनकी सवारी ।
भूखी-नंगी जनता को देते नहीं
कभी भर पेट खाना
बेजान इमारतें खड़ी करवाते
खोलते हैं मुफ्त का दवाखाना।
आंधी आए ऐसी आज
न रहे इनका तख्त-ओ-ताज ।
करते हैं ये बात मजदूरों की
लात मारते हैं मजबूरों को
घर की कभी नहीं सफाई की
चले हैं जनता में अपनी छवी बसाने को।
क्या भला करेंगे ये देश का ?
मन के अंदर भरा गंदगी विद्वेष का।
खुद का मैला किए कभी साफ नहीं
दिखाते हैं मैला ढोने से कभी परहेज नहीं।
करते हैं झाड़ू की बात
संसद में बिछाए हैं फूट की बिसात।
जनता जनार्दन के वेश में खड़ी होगी
मांगेगी किए का हिसाब
तब खुलेगी तुम्हारे कुकर्मों की किताब
फिर बोलो क्या दोगे अपने किए का जवाब।
क्या दोगे उत्तर इनके सवाल का
पूछता है जनता का सैलाब । ।
वार करते हैं ये अचूक
पेट इनका है पैसों का भंडार
करते हैं ये जनता पर अत्याचार
और गाते हैं ये दिखावे का मल्हार । ।
वोट मांगते हैं बन भिखारी
और जीतने पर रौंदती इनकी सवारी ।
भूखी-नंगी जनता को देते नहीं
कभी भर पेट खाना
बेजान इमारतें खड़ी करवाते
खोलते हैं मुफ्त का दवाखाना।
आंधी आए ऐसी आज
न रहे इनका तख्त-ओ-ताज ।
करते हैं ये बात मजदूरों की
लात मारते हैं मजबूरों को
घर की कभी नहीं सफाई की
चले हैं जनता में अपनी छवी बसाने को।
क्या भला करेंगे ये देश का ?
मन के अंदर भरा गंदगी विद्वेष का।
खुद का मैला किए कभी साफ नहीं
दिखाते हैं मैला ढोने से कभी परहेज नहीं।
करते हैं झाड़ू की बात
संसद में बिछाए हैं फूट की बिसात।
जनता जनार्दन के वेश में खड़ी होगी
मांगेगी किए का हिसाब
तब खुलेगी तुम्हारे कुकर्मों की किताब
फिर बोलो क्या दोगे अपने किए का जवाब।
क्या दोगे उत्तर इनके सवाल का
पूछता है जनता का सैलाब । ।
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