शिक्षा का स्तर क्या हो गया है? इससे तो अच्छा है अनपढ़ ही रहें । इससे तो ईंट उठाना ज़्यादा अच्छा है। पर सबको ईंट उठाने का भी काम मिलता कहाँ है? क्या बनना है बच्चे नहीं तय करते उनके अभिभावक खांचे में फिट कर देते हैं। शिक्षा के विकास के बदले विनाश ही हो रहा है। न तो शिक्षक समझते हैं न ही माता-पिता। धनवान बनने के बजाए चरित्रवान बनना सिखाएँ माता-पिता।
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