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Saturday 26 September 2015

सुनें और समझें --- पूनम

आपने सुना होगा गुस्से में लोग अक्सर यही कहते हैं मैं तुम्हें जान से मार दूंगा। परंतु लोग यह नहीं सोचते हैं कि, क्या ऐसा करना या कहना उचित है। अरे तुम कौन सा तीर मार लोगे? मरने वाला थोड़ा पहले चला जाएगा। फिर तुम्हें भी तो वहीं आना है। क्या तुम अमर हो? 

सुधार या आतंक :

कभी-कभी सुधार करते करते इंसान थक जाता परंतु सुधार नहीं कर पाता है। ऐसी बात नहीं कोई सुधार नहीं चाहता है। अगर सब सुधर जाएँ तो  फिर दुनिया ही निराली होगी। आतंक के माध्यम से लोग डर पैदा करते हैं चाहे वह आतंक घर में, बाहर हो, समाज में, परिवार में या देश में हो, विदेश में या दुनिया में। लोग अपने अंदर रहने वाली बुराई को तो बाहर निकाल नहीं पाते हैं। लेकिन इन आतंकवादियों पर हल्ला बोलते हैं। क्या ये आतंकवादी प्यार या प्रेम नहीं चाहते हैं? क्या वे नहीं चाहते हैं कि उनका भी घर परिवार हो, वे भी सुख चैन की ज़िंदगी जियेँ। हर कोई अमन और चैन चाहता है।हर एक के भीतर खुशी और शांति की चाह होती है। जन्म से सभी इंसान  तो मनुष्य या मानव पैदा होते हैं 'दानव' कौन होता है ज़रा हमें बताइये?

कुछ लोगों के द्वारा कुछ लोगों को दबाया जाता है जैसे जमींदारी प्रथा को ही लें और भी कई उदाहरण हैं मानव द्वारा मानव को त्रस्त करने व मानसिक उत्पीड़न करने के। दबाने कुचलने की स्थिति तो हृदय में आतंक को बढ़ावा देती है। यहीं से फिर बदला लेने की ज्वाला हृदय में धधकती है, वो फिर वृहद हो जाती है। सभी को उनकी योग्यता और कार्य क्षमता के अनुसार दाम प्राप्त हो तो फिर किस बात की लड़ाई होगी? जीवन सुंदर होगा और धरती भी हरी भरी होगी। हर व्यक्ति के अंदर ममत्व और अपनत्व होता है। शैतान बनने पर परिस्थितियाँ मजबूर करती हैं। लेकिन कुछ लोगों को शुरू से बुरा बनाया जाता है। वे जन्मजात नहीं होते हैं। एक बार बुराई के दलदल में फँसने पर वह दलदल में फँसता ही चला जाता है। मुझे तो ऐसा लगता है कि दुनिया में प्यार और प्रेम का प्रतिशत ज़्यादा है बनिस्बत झगड़े और बुराई के । 

चलिये ईश्वर से प्रार्थना करें मानव के कल्याण के लिए । वह सभी को सद्बुद्धि और सन्मति दें;  पृथ्वी पर बसने वाले हर जीव-जन्तु और मानवों के लिए।  कुछ तो लालची व नकलची होते हैं ऐसे लोगों से सावधान रहने की ज़रूरत है। इन पर विश्वास न करें। 
पूनम 
 23-09-2015 

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