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Monday, 26 February 2018

बदल और बदला का अंतर


जिंदगी को बदल 
जिंदगी ने बदला 
जिंदगी ने फिर बोला 
इंसान को कैसा तोला
न राम न रहीम मिला 
झगड़ों में सिर्फ कोलाहल मिला 
दिलों में मिला आग का शोला 
न मीठी वाणी न मरहम मिला 
लोगों में कैसा समा जला 
नफरत और भूलों को भुला 
चलो चलें ऐसे जहां में 
जहां न कोई बदला हो न गिला
न कोई हो अकेला 

Sunday, 25 February 2018

डाल्फिन बन कर ------

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यह मार्मिकता भरा लेख है । इंसान क्या है ? सिर्फ पैसा ही के लिए लोग जी रहे हैं। न उद्देश्य रहा है जीवन का न कुछ है जो जैसे नचाए वैसे नाचिए। दुख होता है पर समझाया नहीं जा सकता है किसी को भी । 

Friday, 9 February 2018

सेवा ही सच्ची पूजा है

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Monday, 5 February 2018

संकल्प

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बापू इंसान के दुख - दर्द को कितना समझते थे ,  आज कल कौन किसकी सुनता है ?