जिंदगी को बदल
जिंदगी ने बदला
जिंदगी ने फिर बोला
इंसान को कैसा तोला
न राम न रहीम मिला
झगड़ों में सिर्फ कोलाहल मिला
दिलों में मिला आग का शोला
न मीठी वाणी न मरहम मिला
लोगों में कैसा समा जला
नफरत और भूलों को भुला
चलो चलें ऐसे जहां में
जहां न कोई बदला हो न गिला
न कोई हो अकेला
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