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Saturday 6 October 2012

भगवान् का मंदिर

बृहस्पतिवार, 17 फरवरी 2011

भगवान् का मंदिर

लेखिका-श्रीमती पूनम माथुर

यह संसार भगवान का सबसे सुन्दर मंदिर है.हम सब (प्राणी और वनस्पति जगत)उस मंदिर क़े नस और नाडी हैं.अगर हमें उस मंदिर की सेवा करनी है तो हमें अपने माता-पिता और सभी जनों को सुखी और खुश रखना होगा.प्रत्येक प्राणी क़े दुःख -दर्द को समझना होगा.पर्यावरण और वातावरण को भी शुद्ध रखना होगा.
प्रभु ने हमें बेशुमार दौलत दी है जैसे-स्वास्थ्य,शरीर,धन,परिवार,समाज,राष्ट्र सब कुछ दिया है.अगर हम उसे देखना चाहते है,उसे समझना चाहते हैं,अपने अन्दर उसे पाना चाहते हैं तो हमें उसके लिये कुछ करना भी चाहिए.इसलिए हमें उसकी बनाई हुई दुनिया या सृष्टि में दया और प्रेम का भाव भर देना चाहिए.तभी हम सही अर्थों में परमात्मा की स्तुति कर पायेंगे और अपने को धन्य समझ सकेंगे.तभी इस दुनिया से हिंसा का नामोनिशान मिट पायेगा.तब संसार स्वर्ग की तरह हो जायेगा.

तब  हम शांति और सद्भाव,दया और प्रेम उसके बनाए मंदिर में लगातार प्राप्त करते रहेंगें.  मानवता तभी ऊपर उठेगी जब न जाति-पति का भेद-भाव हो और न धर्म का बंधन,न कोई उंच और न कोई नीच हो,न कोई बड़ा न कोई छोटा,न कोई गोरा न कोई काला का भेद.

सब में एक ही परम-पिता समाया हुआ है चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारो .न कोई उसका धर्म है न कोई उसकी भाषा न जाति.उसकी तो बस एक ही भाषा और धर्म है,प्यार-दया और प्रेम की भावना.
हमें परमात्मा क़े इस वरदान को यूँ ही नहीं गवाना चाहिये.इस वरदान का हम सभी स्वागत करें  जो हमें लगातार शान्ति सद्भाव को आशीर्वाद क़े रूप में प्रदान करता रहता है.भगवान् की बनाई हुई इस प्यारी सी दुनिया को हम हरा-भरा रख कर सुख-समृद्धी से भर सकते हैं,मानवता और एकता क़े बंधन में जोड़ कर.क्योंकि मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है.जन-कल्याण की भावना की ज्योत अपने अन्दर जगाएं.यही सच्चे अर्थों में इस भगवान् क़े मंदिर की सबसे बड़ी पूजा होगी. 
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7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत नेक विचार ।
    कलयुगी मानव को सदाचारण की बहुत ज़रुरत है ।
    आभार इस लेख के लिए ।
  2. उत्तम विचार, इन्सान एक्चुअली इसी भंवर में फसा रह जाता है !
  3. उत्तम विचार
  4. बहुत सार्थक और सकारात्मक विचार हैं....सभी के लिए अनुकरणीय.....
  5. यह संसार एक मंदिर है।
    सब में एक ही परमपिता समाया हुआ है।
    प्यार, दया और प्रेम की भावना ईश्वर का वरदान है।

    ये श्रेष्ठ विचार सभी के मन में प्रस्फुटित हों।
  6. namaste mam,
    maine apka blog padha, ye nishchit hi ek shandaar blog hai. aapke jitana to nahi par ek choti si koshish maine bhi ki hai blog likhane ki. waqt nikal kar use bhi ek baar dekhane aur us par comment dene ka prayaas karen
    journalistkrati.blogspot.com

6 comments:

  1. सब में एक ही परम-पिता समाया हुआ है चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारो .न कोई उसका धर्म है न कोई उसकी भाषा न जाति.उसकी तो बस एक ही भाषा और धर्म है,प्यार-दया और प्रेम की भावना.....
    Bhavanaaon ko naman !!

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  2. बहुत सुन्दर और सात्विक भाव..आभार..

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  3. आपके ब्लॉग पर लगा हमारीवाणी क्लिक कोड ठीक नहीं है, इसके कारण हमारीवाणी लोगो पर क्लिक करने से आपकी पोस्ट हमारीवाणी पर प्रकाशित नहीं हो पाएगी. कृपया हमारीवाणी में लोगिन करके सही कोड प्राप्त करें और इस कोड की जगह लगा लें. यहाँ यह ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि हमारीवाणी पर हर एक ब्लॉग के लिए अलग क्लिक कोड होता है.

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  4. शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन....बहुत खूब
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति

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