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Saturday 22 December 2012

का कहीं कुछो समझे नइखे आवत---पूनम माथुर


का कहीं हमरा त बुझाते नइखे । एगो शास्त्री जी जिंनकर नाम श्री राम रत्न बाटे। अब उनका से मिलले हमरा पाँच छह साल हो गईल बा। ऊ  हमरा के 'बिटिया' क़हत रहन। हमारा घरे ज्योतिषी सलाह लेवे के खातिर आवत रहले कि कौवन दिन से प्रोग्राम रखी की सात दिन के प्रवचन ठीक से ठीक चल सके कवनों विघ्न त ना होवे। हमार पति से पूछे आवत रहवन एहि से  जान पहचान  हो गईल रहे ।

उन  कर बात हमारा जेहन मे बार-बार उठ रहल बा  आज जे ई सब कांड हो रहल बा। उ क़हत रहलन कि महिला मे बाइलोजिकल अंतर नइखे भावना के अंतर बाटे  कि ऊ महतारी,बहिन, भुआ ,दादी,अम्मा,नानी,काकी,बीबी,बेटी के नाम से जानल जा ला। अगर भावना खत्म हो गईल त सब खत्म हो गईल । भावना के चलते ही त आँख के पर्दा बाटे ना त सब खत्म।

दिल्ली मे जे कांड हो गईल हा ओकर त सीधा संबंध भावना के खत्म हो गईला के कारण ही बा। दिल्ली का दुनिया के हर कोना मे आज बलात्कार हो रहल बा। लड़की के घरे से निकलल मोसकिल हो गईल बा। एक तरफ त तरक्की एतना हो गईल बा कि लड़का -लड़की बराबर बा। संविधान मे भी संशोधन करे के खातिर आवाज उठ रहल बा। पर संस्कार कहाँ कोई अपना घर पर दे रहल बा। संस्कृति संस्कार के बात खाली भाषण बाजी ,समाचार पत्र,लेख,ब्लाग,अउर मीडिया मे बतावल जा ला।परंतु घरे पर अपना बेटा के कोई कुछ कहे ला  कि तुअ गलत काम मत करीह । (बेटा हव सब ठीक बा रात बिरात आव जा कुछ भी करब तोरा मे कोई दोष नइखे तु त कुलदीपक हव )। गलत व्यवहार आउर नीति के कारण पुरुष वर्ग महिला वर्ग पर हावि बा। समझदारी के बात आजकल गार्जियन लोगन के बतावे के चाही । कवन   गलती बा इहों बतावे के चाही। रेप -रेप सुन रहल बा आज के लोग रेप के उल्ट के पढि परे-परे हो जाई । एकरा मे कौनों   दुर्घटना न  होई। आज कल हमनी के देखेली कि पढे वाला लडिका लड़किन सब एक दूसरे के हाथ हाथ डालते जा रहल बा लोग एक दूसरे के कांधा पर थपकी दे रहल बा ।दुनिया देख रहल बा का इहे मार्यादा बा।का बच्चा का बूढ़ा सब देख रहल बा ,इहे जमाना आ गईल बा। आज कल हटे-हटे के जगह पर सटे-सटे हो गईल बा। त दुर्घटना त होना ही बा। तरक्की के जमाना बा। कोई कुछ नइखे कह सकत। कहब त पीटा जईब ।

ऐतना होई के बावजूद भी बलात्कार जइसन घटना ना हो के चाही। कुत्ता जइसन हड्डी पर टूट पड़े ला। तू उहे हव का? तू त इंसान हव । मानव होवे  के तनिक  गुमान करअ ।

हमरा   घरे के सामने भागवत हो रहल बा।  कवनो   औरत सुंदर देखे मे लागतिआत  त लोग घूर-घूर के ओकरा के देखे लागे ला। का पब्लिक के भगवान मे मन लागेला कि इहे सब कुलही देखे मे मन लागेला । पूजा करत लोग के ध्यान कहीं आउर बा। आऊर त आऊर भगवान के चरितर  हनन कि कृष्ण भगवान गोपीन के कपड़ा लेके कदम के पेड़ पर चढ़ि गईलन नदी से गोपी तू लोग बाहर निकल तबे कपड़ा दे हव । जरा सोंची कि भावना आऊर भगवान के  ऐतना नीचे गिरावट। हम त पूजा-पाठ मे न जाईला एक तरह से बहिष्कार। हर जगह नारी के साथे अइसन व्यवहार बा तनि सोची। समझे के काम बा अपन-अपन घर के सुधारी तब ही जन-कल्याण बा। महिला के उद्धार बा। हल्ला हंगामा से का होई जे कर इज्ज़त लुट गइल का वापस आई?भगवान से प्रार्थना करी कि ई लोगन के तबीयत जल्दी से जल्दी ठीक हो जाए।आऊर समाज मे ए तरह के लोगन के साथ सामान्य व्यवहार होए। आज के संदर्भ मे जरूरत बा अपना घर के व्यवहार आऊर वातावरन बनावे कि टी वी ,विदेशी कल्चर आऊर  कंप्यूटर से काम ना चली। व्यवहार से घर समाज चली। देश भी बनी।

महतारी ,बाप ,गुरु आऊर समाज के ईहे कर्तव्य बा लड़का- लड़की के   सही शिक्षा दिहल जाए।  तब ई सब घटना पर रोक लगी।

 

4 comments:

  1. भाषा की वजह से थोड़ा समय लगा पढ़ने में ... लेकिन बिलकुल सटीक बात काही है .... हटे हटे की जगह अब सटे सटे ही दिखते हैं ...और कोई कुछ नहीं कह सकता ...

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  2. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति

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  3. एकदम सही लिखले बानी रउवा ...संवेदन हीन होत जाता ई समाज औरी हमनी के भी ...डर के साये में ही जिय तानी जा ..

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  4. एकदम सही लिखले बानी रउवा ...संवेदन हीन होत जाता ई समाज औरी हमनी के भी ...डर के साये में ही जिय तानी जा ..

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