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Friday 14 June 2013

दो कवितायें ---पूनम माथुर

रविवार, 16 अक्तूबर 2011

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(1) दर्द


कोई किसी के आँसू क्यों पोंछे ?
कोई किसी का दर्द क्यों मोल ले या सम्हाले ?
सब अपने मे व्यस्त अलमस्त बने
दूसरों के क्यों हमदर्द बने?
यह जीवन है क्यों खराब करे?
यह जीवन है क्यों बर्बाद करे?
पल-पल घमंड मे डूबे
क्या करने को क्या कर गुजरे।


(2) छवि

एक दो तीन
बापू के बन्दर तीन
क्यों करते हो छवि मलीन
एक पल मे सब जाएगा छीन

 

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12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति ||

    बधाई ||

    बंदरों ने छीनकर, जीवन चलाया |
    हाथों को काम में कैसा फंसाया ?
    आँख, मुंह, कान का चक्कर अजीब --
    मर न जाएँ भूख से बन्दर गरीब ||

    यह मेरी ताज़ी तुरंती है स्वीकार करें ||
    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  2. धन्य-धन्य यह मंच है, धन्य टिप्पणीकार |

    सुन्दर प्रस्तुति आप की, चर्चा में इस बार |

    सोमवार चर्चा-मंच

    http://charchamanch.blogspot.com/
    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  3. बहुत भावपूर्ण कवितायेँ हैं ।
    बढ़िया है ।
    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  4. छीजती संवेदना एकदिन लील जाएगी हमारी मौलिकता को।
    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  5. खूबसूरत प्रस्तुति. शुभकामनायें.
    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  6. पल-पल घमंड मे डूबे
    क्या करने को, क्या कर गुजरे।

    भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  7. कल 19/10/2011 को आपकी कोई एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!
    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
  8. कुछ ही शब्दों में गहरी बात ... बहुत लाजवाब ...

1 comment:

  1. कोई किसी के आँसू क्यों पोंछे ?
    अपने आँसू सुखाने के लिए ....
    कोई किसी का दर्द क्यों मोल ले या सम्हाले ?
    खुद अवसाद में ना डूबे .....
    सब अपने मे व्यस्त अलमस्त बने
    हम जैसे भी हैं ........
    दूसरों के क्यों हमदर्द बने?
    दर्द नासूर न बने ...........
    यह जीवन है क्यों खराब करे?
    यह जीवन है क्यों बर्बाद करे?
    जीवन आबाद होते हैं .........
    पल-पल घमंड मे डूबे
    क्या करने को क्या कर गुजरे।
    सच्ची अभिव्यक्ती
    सादर

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