यह त्यौहार बहन-भाई के लिए नहीं बना था। यह तो विद्या प्रारम्भ करने का पर्व था। सर्व-शिक्षा का अभियान था यह। क्या मर्द क्या औरत सबका मस्तिष्क परिष्कृत हो यही इस पर्व का उद्देश्य था। कालांतर में इसकी मान्यता ही बदल गई और बहनों ने भाईयों के हाथ में धागा बांधना शुरू कर दिया।
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