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Wednesday, 30 January 2013

किताबों के पन्नों पर---पूनम माथुर




(चित्र साभार: गूगल इमेज सर्च )



बापू गांधी को टांग दीवार पर
श्रद्धांजलि देने का स्वांग करते 30 जनवरी पर
चलते नहीं उनकी लीक लकीर पर
बना महात्मा फूल चढाते दरो दीवाल  पर
कैसा अंजाम किया इस फकीर पर
चाहते नहीं संसार के प्राणियों से प्यार करना पर
हरि व जन का  क्या जानें सम्मान करना पर
हे राम का बंदा बलिदान हो गया देश पर
क्या जाने सावरमती का संत ऐसे बर्ताव -व्यवहार पर 
क्या जाने क्या माने गांधी को अपने अभिमान पर 
सच के प्रहरी को धोखा दे रखा है इस कदर पर 
बदनाम करते हैं अपने दीन ईमान धरम पर
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई भाईचारे का पाठ पढ़ाया पर 
भाई भाई मे एकता का संदेश बताया -समझाया पर
लोगों ने मानव धर्म का  कदर न चाहा न जाना पर 
मानव का मानव से ये नाता समझ न आया पर 
सबको सन्मति दे भगवान का भजन गाया पर 
अब तो निगाह है सिर्फ ले लेने पर
जान देने की नहीं ध्यान है ले लेने पर 
दिल दिमाग मे छाया है ध्यान सिर्फ एश-ओ-आराम पर
सत्य व अहिंसा को रखकर ताक पर 
झूठ और बेईमानी से काम करते हाथ जोड़ते हर बार पर 
करते अपमान अहिंसा के पुजारी का हर बात  पर
छोड़ कर संसार चला गया संत, देश की बाग डोर अब तेरे हाथों पर 
अब तो ऐसा ही आया है ज़माना, सत्य अहिंसा किताबों के पन्नों पर

श्रीमती पूनम माथुर

1 comment:

  1. एकदम सही कहा है आपने आज गांधीजी की तस्वीर टांग कर ही बस उन्हें याद किया जाता है उनके आदर्शों से किसी को कोई लेना देना नहीं है. मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ? आप भी जाने इच्छा मृत्यु व् आत्महत्या :नियति व् मजबूरी

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