माँ की पुण्यतिथि(03 मार्च ) पर :
हमारे माता-पिता हम लोगों के निर्माण के लिए कितने तकलीफ और दुख उठाते हैं उसके बाद संतान को सुखी जीवन दे पाते हैं । मेरी माँ ने मेरे लिए बहुत दुख उठाया है और संयुक्त परिवार में ऊपर से काम का बोझ । अब मुझे समझ आता है कि, उनके दिमाग पर कितना बोझ था? पर कभी भी संतुलन नहीं खोया। हमेशा ही हम भाई -बहन के लिए ज़िंदगी को जिया। कभी उफ तक नहीं किया। मेरी माँ को शत-शत नमन। :हम भाई-बहन माँ-पिताजी का कहना ज़रूर मानते थे।
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