रविवार, 16 अक्तूबर 2011
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(1) दर्द
कोई किसी के आँसू क्यों पोंछे ?
कोई किसी का दर्द क्यों मोल ले या सम्हाले ?
सब अपने मे व्यस्त अलमस्त बने
दूसरों के क्यों हमदर्द बने?
यह जीवन है क्यों खराब करे?
यह जीवन है क्यों बर्बाद करे?
पल-पल घमंड मे डूबे
क्या करने को क्या कर गुजरे।
(2) छवि
एक दो तीन
बापू के बन्दर तीन
क्यों करते हो छवि मलीन
एक पल मे सब जाएगा छीन
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12 टिप्पणियां:
- बहुत अच्छी प्रस्तुति ||प्रत्युत्तर देंहटाएं
बधाई ||
बंदरों ने छीनकर, जीवन चलाया |
हाथों को काम में कैसा फंसाया ?
आँख, मुंह, कान का चक्कर अजीब --
मर न जाएँ भूख से बन्दर गरीब ||
यह मेरी ताज़ी तुरंती है स्वीकार करें || - धन्य-धन्य यह मंच है, धन्य टिप्पणीकार |प्रत्युत्तर देंहटाएं
सुन्दर प्रस्तुति आप की, चर्चा में इस बार |
सोमवार चर्चा-मंच
http://charchamanch.blogspot.com/ - छीजती संवेदना एकदिन लील जाएगी हमारी मौलिकता को।प्रत्युत्तर देंहटाएं
- पल-पल घमंड मे डूबेप्रत्युत्तर देंहटाएं
क्या करने को, क्या कर गुजरे।
भावपूर्ण अभिव्यक्ति. - कल 19/10/2011 को आपकी कोई एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!प्रत्युत्तर देंहटाएं
- कुछ ही शब्दों में गहरी बात ... बहुत लाजवाब ...
कोई किसी के आँसू क्यों पोंछे ?
ReplyDeleteअपने आँसू सुखाने के लिए ....
कोई किसी का दर्द क्यों मोल ले या सम्हाले ?
खुद अवसाद में ना डूबे .....
सब अपने मे व्यस्त अलमस्त बने
हम जैसे भी हैं ........
दूसरों के क्यों हमदर्द बने?
दर्द नासूर न बने ...........
यह जीवन है क्यों खराब करे?
यह जीवन है क्यों बर्बाद करे?
जीवन आबाद होते हैं .........
पल-पल घमंड मे डूबे
क्या करने को क्या कर गुजरे।
सच्ची अभिव्यक्ती
सादर