शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011
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पूनम माथुर |
किसे पराया
कोई खद्दरधारी
कोई चद्दरधारी
कोई दुत्कार करे
कोई सत्कार करे
कोई समझता अपना
कोई समझता पराया
कोई कहे आत्मा
कोई कहे परमात्मा
कौन है सच्चा
कौन है झूठा
कोई कहे एक
कोई कहे अनेक
कोई देता सजा
कोई लेता मजा
कोई देता दवा
कोई देता दगा
क्या है एकसार
क्या है विस्तार
कौन किसे बिगाड़े
कौन किसे संवारे
एक नैया आना
एक नैया जाना
समझ का फेर माना
सबको एक दिन आना-जाना
सबमे तू ही समाया
यह किसी ने न जाना।
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12 टिप्पणियां:
- बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने
प्रत्येक पंक्ति भावमय और अर्थपूर्ण है..
बहुत सुन्दर, सार्थक कविता ...
ReplyDeleteधन्यवाद