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Wednesday, 19 June 2013

भूखी नंगी जनता---पूनम माथुर

27-01-2012 को लिखित 
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कैसा है यह गणतन्त्र का त्यौहार
कोई भूखा सोता है कोई नंगा रहता है
कोई बेघर होता है कोई खाते-खाते उल्टी करता है
कैसा है यह गणतन्त्र का त्यौहार
हाँ-हाँ सब करते हैं पर ना ही कोई कुछ करने को तैयार
कैसे होगा भोली-भाली जनता का उद्धारदुष्ट,दुशप्रवहार,संस्कार 
कैसे हम मनाएंगे यह गणतन्त्र का त्यौहार
जब तक हम सभी नहीं लाएँगे सच्चा प्यार-दुलार
तब तक कैसे होगा प्राणियों का सत्कार
छोड़ दो यह नारेबाजी यह सब करना है बेकार
जब तक नहीं पनपते तुम्हारे अंदर अच्छे संस्कार
क्यों करते हो झूठे आडंबर क्यों नहीं करते हो उनका बहिष्कार
जब तक नहीं होगा इंसान के अंदर इंसानियत का संचार
मत करो 'दिखावा' का दुष्प्रचार
दुष्टों को क्यों नहीं लगाते फटकार
कैसे मनाएँ गणतन्त्र का त्यौहार
अपने अन्तर्मन मे ढूंढो अच्छे विचार
तभी मना सकोगे गणतन्त्र का त्यौहार
दुष्टों और भ्रष्टों ने लोगों का जीना और' तंत्र' को कर रखा है लाचार
अमर शाहीदों की कुर्बानी को कर रखा है बेकार
इन्हें मन व जड़ से उखाड़ फेंको तभी होगा गणतन्त्र का सच्चा त्यौहार



जय हिन्द  


(पूनम माथुर)

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