©इस ब्लॉग की किसी भी पोस्ट को अथवा उसके अंश को किसी भी रूप मे कहीं भी प्रकाशित करने से पहले अनुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें। ©

Friday, 11 October 2013

जल ही जीवन है ---पूनम माथुर/विजय माथुर

जल के बिना किसी का भी जीवित रहना बहुत मुश्किल है। इसीलिए जल को अमृत भी कहा गया है। हमारे देश में 'गंगा जल' को विशेष स्थान और महत्व दिया गया है। क्यों? निम्नलिखित स्कैन कापी में जिन तथ्यों का उल्लेख है उनके अतिरिक्त जो विशेष तथ्य है और जिसका उल्लेख नहीं किया गया है उसी ओर ध्यानाकर्षण करना हमारा उद्देश्य है । 

आर्यसमाज, कमला नगर, आगरा में एक प्रवचन के दौरान आचार्य विश्वदेव (आयुर्वेदाचार्य, व्याकरणाचार्य)  जी ने इस रहस्य का खुलासा करते हुये बताया था कि जिस स्थान पर 'बद्रीनाथ' मंदिर बना दिया गया है उसके नीचे 'गंधक'-'SULPHOR' की पहाड़ियाँ हैं। गंगा की एक धारा जिसका जल गरम होता है उसका कारण गंधक की पहाड़ियों से गुज़र कर आना ही है। जब गंगा के गरम जल की धारा दूसरी धारा से मिल कर आगे बढ़ती है तो उसमें भी गंधक का प्रभाव आ जाने से यह जल 'एंटी बेक्टीरिया' प्रभाव का होने से इसमें कीटाणु नहीं पड़ते और यह काफी समय तक सेवन करने योग्य बना रहता है। परंतु आजकल विकास के नाम पर जो 'विनाश' किया गया है उसके दुष्परिणाम स्वरूप गंगा जल की शुद्धता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है। 'गंगा जल' की शुद्धता बहाली हेतु जो सवाल प्रस्तुत लेख में उठाए गए हैं उनका निराकरण किए बगैर गंगा को जीवन दायिनी अधिक समय तक नहीं बनाए रखा जा सकता है। अतः प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है कि वह इसके निमित्त   अपना योगदान दे। इसी प्रकार हर नदी के जल की शुद्धता की ओर भी मानव हित में ध्यान दिया जाना चाहिए।






2 comments:

  1. बिलकुल सही
    सहमत हूँ
    सादर

    ReplyDelete
  2. बहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति .. जल है तो कल है ..

    ReplyDelete